Jaane Kahaa ??? The Revolution भाग 31
अपडेट 31
आज जय कुछ देरी से उठा और उठते ही उस ने फ्रेश होकर तुरंत लाइब्रेरी मे जाने की सोची। जब से क्रांति की शुरुआत हुइ थी, क्रांतिकारीयो से ज्यादा जय को समाचार की तलब रहती थी। क्युकी दोस्तो मे से कोइ उसे कुछ बताता नही था और खुद का इगो बीच मे आ रहा था तो सामने से कुछ पुछ नही सकता था। वैसे भी वो पुछता तो भी क्रांतिकारी कुछ बताने को तैयार नही होनेवाले थे ये वो अच्छी तरह समज चुका था। बस एक रास्ता था की अखबार पढो और सुर्खियो मे देखो की कुछ नया हुवा है या नही। इसिलिये आज जल्दी से जल्दी वो लाइब्रेरी मे घुसा। देखा तो अखबार ही गुम है। कुछ 8 से 10
अलग अलग भाषा ओ मे अखबार आते थे। कुछ हिन्दी, कुछ इंग्लिश और कुछ मराठी मे भी अखबार आते थे। जय मराठी तो इतना नही जानता था तो जाहिर है ज्यदा से ज्यादा हिन्दी अखबार ही पढना पसंद करता था। लेकिन आज एक भी अखबार दिखाइ नही दे रहा था। लाइब्रेरियन को पुछने पर पता चला की आज अखबार आया ही नही। जय ने उसे डाट दिया की क्या करते रहते हो, एक भी अखबार नही आया है तो अखबार के एजंट को फोन करो। लाइब्रेरियन एजंट को
फोन करे और एजंट आये तब तक जय बार बार उस को पुछता रह्ता था और वो जय को बार बार
जवाब देता रहा। इतने मे आज जय ने आधा पेकेट सिग़रेट खत्म कर दी। जैसे ही अखबार एजंट
पहुचा गया तब फ्रंटलाइन पढकर ही जय समज गया की आज अखबार क्यु लेइट हुवा था क्युकी
शायद सब से ज्यादा बीक्री हुइ होगी अखबारो की इसिलिये नियमित जो अखबारो की कोपी
पहुचती थी वो सब जगह देरी से पहुची थी। आज अखबार के एजंटो ने ब्लेक मे कोपी बीक्री
की होगी।
क्युकी फ्रंट लाइन
न्युज ही ऐसा था....बोम्ब विस्फोट हुवा था जैसे....ये समाचार पढते ही जय समज गया
की क्रांतिकारीयो ने दुसरा वार कर दीया है। क्युकी फ्रंटलाइन समाचार था....’राज्स्थान
के फ्लायओवर के निर्माण मे करोडो का घोटाला’.......’राजस्थान के राजकारणीयो ने
कीया करोडो का घोटाला’.....। पुरी कहानी समजने से पहले कुछ माहिती प्रस्तुत है
जानकारी हेतु....
हर चीफ मिनिस्टर को फंड अलॉट होता है की उसके स्टेट मे कुछ ना युझ कर सकते है। राजस्थान के सीएम का फंड मे से पूरे राजस्थान मे कई योजनाए बनाई गयी थी। खास कर के राजस्थान के मैइन मैइन सिटीस मे फ्लाइओवर (ब्रिज ) बनाने की योजना केन्द्र सरकार ने मंजूर की थी और कई शहरो मे या तो काम पूरा हो चुका था या तो काम चल रहा था। उनमे जो खर्चा किया गया था उसका हिसाब भी स्टेट रोड & बील्डिंग डीपार्टमेंट रखते है। केन्द्र सरकार मे CPWD Department होता है (सेंट्रल पब्लिक वर्क्स विभाग)।
ये सरकारी काम है। जो कुछ इस तरह आगे बढ़ता है:
सब से पहले योजानाये बनाइ जाती है और फिर इसे राज्य सरकार की मंजुरी के बाद टेंडर्स निकाले जाते है। जिस का विज्ञापन अग्रणी अखबारो मे सरकार की ओर से छापा जाता है। उस विज्ञापन के आधार पर अनुभवी और राज्य सरकार मे जिस ने पहले भी कार्य किया हो ऐसे तजुर्बे वाली कम्पनीयो के टेंडर्स भरने योग्य माना जाता है। सरकार कोइ भी हो राज्य या केन्द्र और कोइ भी विभाग हो, टेंडर्स मे एक ही नियम रहता है, LOWEST WILL BE ACCEPTABLE मतलब ‘कम दाम और क्वोलिटी मटीरियल’। मतलब जिस कम्पनी का दाम सब से कम हो उस का ही टेंडर्स मंजुर होना चाहिये। और दुसरा नियम ये है की कोइ भी काम के लिये कम से कम तीन कम्पनियो के टेंडर्स और अधिक से अधिक कोइ लिमिट नही इतनी कम्पनीया अनिवार्य होते है वरना पुरी टेंडर्स प्रक्रिया दुसरीबार होती है। टेंडर फोर्म सबमिट करते वक़्त कम्पनी को डीपोझिट के तौर पर एक निश्चिंत एमाउंट जमा करवानी होती है जिसे EMD (Earnest Money Deposite) कहते है। बडे बडे टेंडर मे ये रकम भी बडी होती है। ये रकम जिसे टेंडर मिले उसे भरनी होती है बाकी कम्पनीयो की टेंडर्स फी वापस दी जाती है और टेन्डर मिलनेवाली कम्पनी की रकम उस विभाग मे जमा ही रहती है।
टेंडर्स आने के बाद निश्चिंत अवधि मे उसे सब टेन्डरर्स मतलब सारी कम्पनियो के अधिक्रुत आदमी की हाजरी मे उसे खोला जाता है और सब से कम दाम जिस टेंडर मे ओफर किये गये हो उसे टेंडर दिया जाता है और उस कम्पनी से एग्रीमेंटॅ किया जाता है। इस के बाद उस कम्पनी को वर्क ओर्डर मतलब काम पुरा करने का ओर्डॅर कागज पे दिया जाता है। जिस मे लिखा होता है की फलाना काम आप को इस अवधि मे पुरा करना होता है। इस वर्क ओर्डर के आधार पर कम्पनी की ओर से स्टेट गवर्नमेंट को एक पत्र जारी होता है की इस कार्य के लिये इतनी सामग्री चाहिये, जैसे सिमेंट, लोहा, कच्चा माल वगैरह वगैरह..। जिस का अन्दाजित खर्चा इतना होगा और मटीरियल्स का मार्केट भाव और स्टेट गवर्न्मेंट का भाव लिखा जाता है। इस भाव के आधार पर राज्य सरकार कुछ रकम एडवांन्स के रुप मे कम्पनी को चेक द्वारा देती है काम शुरु करने से पहले रो-मटिरियल्स को परचेझ करने के लिये।
फिर कार्य शुरु होता है और बीच बीच मे कोंट्रेक्ट के मुताबिक राज्य सरकार की ओर से चेक दिया जाता रहता है और कार्य आगे बढता है। कोंट्रेक्ट मे बहुत सारे शर्ते होती है, उन मे से एक शर्त ये भी होती है की कार्य सेटिसफेक्टॅरी होना चाहिये और समय अवधि पर समाप्त होना चाहिये। हा बीच मे मार्केट रेट बढे तो उस तरह से एमाइंट बढती रहती है। और इस के लिये राज्य सरकार की ओर से अफ्सर को हमेशा चेकिंग करनी होती है। और उन अफ्सरो को अपनी रीपोर्टॅ विभाग मे जमा करनी होती है की कार्य कैसे और कहा तक पहुचा है और जो शर्ते रखी गइ है उस तरह ही चलता है या नही। अगर नही तो उस रीपोर्ट के आधार पर कम्पनीयो को पेनल्टी के तौर पर करार मे लीखा हो वैसे कुछ निश्चिंत रकम काट ली जाती है।
कार्य समाप्ति हो जाने पर फाइनल बिल तैयार होता है। राज्य सरकार के रोड & बील्डिंग विभाग एक रजिस्टर मैंइन्टैइन करता है की कितनी रकम कौन स सी तारीख मे कहा खर्च की गइ। ये पुरा राज्य सरकार के विभाग की कार्य करने का सही तरीका होता है जहा उस के अफ्सर्स से लेकर मजदुरो तक का कम्पनीयो को सम्भालना पडता है और काफी भारी रकम घुस के स्वरुप मे चली जाती है। मतलब की सब को खुश कर के आगे बढना पडता है। हर सरकारी कार्य मे घोटाला भी होता ही है जैसे मटीरियल्स भी जो करार के वक़्त लिखा होता है उस से हल्की कक्षा का ही उपयोग किया जाता है। लेकिन सरकारी अफ्सर बीकाउ होते है और रीपोर्टॅ अच्छी दे देते है और काम चल जाता है क्युकी टेंडर्स भी पोलिटिशंस के सगे सम्बन्धीयो को ही मिलते रह्ते है। इसिलिये रीडर्स के ध्यान मे होगा की हमारे घर की गलीयो के रोड के कामकाज मइ महिने मे या जुन महिने मे ही शुरु होते है ता की वही बनाया हुवा रोड जिस को बने हुये महिनाभर भी नही हुवा होता है वो पहली ही बारिश यानी जुलाइ महिने मे बिस्मार हालत मे पाये जाते है और पैसा कम्पनी और अधिकारीयो की जेब मे और फिर से अगले साल मे कोंट्रेक्ट रीन्यु कर दिया जाता है।
हर जगर पर यही चलता है। उतना ही नही घर की गलीयो के पास जो ब्लोक सरकार डालती है उस मे सोसायटी के रहीशो से 30 या 20
प्रतिशत और बाकी सरकार के पैसो से बनाया जाता है वो दरअसल केवल 20 प्रतिशन खर्चे पर हल्का माल का उपयोग कर के बनाया जाता है और बाकी के 80 प्रतिशत सरकारी पैसा कोंट्रेक्टर के हाथो मे चला जाता है। मतलब
सोसाइटी के ब्लोक केवल सोसाइटी के रहीशो की रकम से ही बन जाता है और जो 80 प्रतिशत
ग्रांट सरकार देती है वो पुरी की पुरी रकम सरकार के अफ्सर्स और कोंर्ट्रेक्टर्स के
हाथो मे चली जाती है और पब्लिक ये समजती है की ये ब्लोक हमने सरकार से मिलकर करवाये
है।
राजस्थान मे भी फ्लायओवर्स
के कामो मे खेंगारसिन्ह, रणवीरसिन्ह और उस के साथीयो के ही टेन्डर्स चलते थे। और
बाकीयो की हिम्मत ही कहा की इन के खिलाफ टेंडर भरे और दुश्मनी मोड ले। लेकिन इतने
बडे आदमियो के खिलाफ भी मीसीस रिषी ने घुटॅने नही टेकने दिये थे और टेंडर्स मे जो
भी कमीया थी उसे फाइल मे रख दी थी और टेंडर्स को रद कराने की कोशीश की गइ थी। जब
की इन महानुभावो ने अपने तरीके से टेन्डर्स मंजुर करवा लिये थे और जहा पुरे
हिन्दुस्तान मे चलता है वैसा ही यहा भी चल गया।
जहा सब जगह चलता है वही राजस्थान मे भी यही होता है। लेकिन राजस्थान के रोड & बील्डिंग़ विभाग मे रखी गइ हिसाब की पुरी नोट्स की ज़म्बो जेरोक्ष क्रांतिकारीयो के हाथ मे थी और मीसीस रिशी ने रीजेक्ट की गइ नोट्स की जेरोक्ष कोपी भी। बस फिर क्या था, हर एक ओवरफ्लाय पर फिर से एक बार पोस्ट्रर्स चिपकाये गये की हिसाब क्या था और क्या होना चाहिये था। जिस कार्य मे एक लाख रुपये के खर्चे मे काम बन सकता था वहा सरकार और टेन्डर भरी हुइ कम्पनियो ने मिलकर 25 लाख का खर्चा दिखाया था। इस का मतलब सीएम फंड की ग्रांट सीधी सब के पोकेट के अंदर चाउ हो चुकी थी। ये बात राजस्थान के अखबारो मे पुरे हीसाब
कीताब के साथ छप गइ। मतलब एक साथ क्रांतिकारीयो ने दो जगह पर एक साथ वार
कीये थे। फ्लायओवर्स के आसपास और शहरभर मे जगह जगह पर पोस्टर्स और वही पुरी माहीती
हर एक अखबार मे पहुचाइ गइ थी। जब तक खेंगारसिन्ह को पता चलता तब तक ये बात
हिन्दुस्तान की जनता तक चली आइ थी।
क्रांरिकारीयो का ये वार तो पहले वार से भी ज्यादा पावरफुल था और सीधा राजस्थान की असेम्ब्ली की दीवारो पर जा टकराया था। जय को महाराष्ट्र के अखबारो के माध्यम से सुबह पता चला था। लेकिन अगली रात उदयन को अजीब मुड मे देखकर उस ने सोचा ही था की जल्दी ही कुछ जरुर होगा। इसिलिये
आज वो अखबार की राह बावला होकर कर रहा था। जैसे जैसे वो कहानी अखबार मे पढता गया
उस के चेहरे की मुस्कान बढती जा रही थी। क्युकी आज तक क्रांतिकारीयो के पास ठोस
सबुत नही थे लेकिन आज तो नाम, काम, रकम, स्थल के साथ सारी की सारी माहिती थी। अब
कोइ भी माय का लाल खुलंखुला क्रांतिकारीयो का कुछ बीगाड नही सकता था।
क्रांतिकारीयो की मोडेस-ओपरेंडी वही थी, पोस्टर्स छपवाना और चिपकाना, लेकिन मास्टरी इतनी थी की कीसी को कानो कान खबर ही नही पहुची। हर युध मे होता है ना वही यहा भी हुवा। सब सही हुवा लेकिन जो एंजीनीयर्स की नोट्स की जेरोक्ष कोपीस से पोस्टर्स बने उस के माध्यम से खेंगार सिनह & कम्पनी ने इंकवायरी करवाइ और केवल एक घंटे मे उन लोगो को एहसास हो गया की कही ना कही मी. & मीसीस रिशी इस महान कार्य के भागीदार है।
शुक्रवार को ये घटना घटी और इसिलिये शनिवार के अखबारो की हेडलाइंस इस घटना पर ही आधारित थी।
आज भी जय दिन भर बावला
होकर घुमा क्युकी आज भी दोस्तो की टोली नजर नही आ रही थी।
और आखिर जय ने शनिवार रात को उदयन को पकडा और कहा,”क्या कमाल किया है तुम लोगो ने?”
उदयन अन्जान बनकर बोला,”What’s happened ?”
जय,” मुजे सब पता है जाड्या, ये तुम लोगो का ही काम है।“
उदयन ने स्वस्थता से पुछा,”Who told you my friend ?, I don’t know
anything.”
अब जय ने उदयन का हाथ मरोड दिया और कहा,”साला मुज से जुठ क्यु बोल रहा है? मै कोइ तेरा दुश्मन नही हु ? मुजे बताने मे शर्म आती है क्या?”
उदयन “uuuuuuuhhhhh aaaaaaahhhhhh” कर के बोल उठा, “leave my hand JK you see this is top
secret my friend. We are instructed not to talk each other even.”
जय ने उस का हाथ छोड दिया और कहा,”Ok Ok never mind. But all of you did well
job yar.”
उदयन,"So JK now you are fully satisfied with
us na ! You see all of us are not taking this case personally. This is joint
revolution yar. Sajan is not taking personal revenge. Even Nishi is not taking
her personal interest in it. But we just don’t care anything yar. We have a
secret plan to expose the basterds.”
जय ने कहा, “It’s ok Udi, but you know after all this
is dangerous for all of us and…..”
जय आगे बोले उस से पहले उदयन बोल उठा,"Jay, you don’t worry. We have
no any kind of prejudice against you. All of us are on same decision not to
involve you in it as only you are among us whose
mother are still alive for you. Others have no any reason to worry yar. My and
Sajan’s father are rich and we have no problem at all.”
Jay,”
फिर भी उदयन ये लोग इतने खतरनाक है की तु ही देख निशी के पिताजी तो वकील है फिर भी घुटने टेकने पड गये थे न उस को। इसिलिये जस्ट तुम लोगो की चिंता ज्यादा रहती है।“
उदयन,”That I can see on your behavior my friend.
You are going to chain smoker now.”(क्युकी जय उस दिन तीन पेकेट खत्म कर चुका था और रुम मे
बिखरे पेकेट्स, धुआ, सिगरेट के जले हुये टुकडे और राख से पता लगता था की आज कितनी
सिगरेट जय पी चुका था।)
जय,”Ok boss I agree with you. But what’s next?”
उदयन ने उंगली क्रोस कर के कहा“Top secret, don’t be childish my dear” और तुरंत वहा से भाग गया।
जय ने उस की चाल मे अजब स्फुर्ति और क्रांति की विजय देखी और वो हस पडा और उस ने सोच लिया की कल रविवार को स्वामी रामानंद से वो जरुर मिलेगा और ये सबकुछ उस के साथ चर्चा करेगा क्युकी आखिरकार दोस्ती का सवाल था। और उस रात जय सोचते सोचते कब सो गया उसे पता ही नही चला।
जय ने सोचा था की रामानंद स्वामी से वो बाते करेगा तो शायद वे इन क्रांतिकारीयो को समजाये और कुछ रास्ता नीकल आये ता की सब दोस्तो की जान को जोखिम न हो और स्वामी जी की बातो का विरोध कोइ नही करेगा ये भी जय को विश्वास था। लेकिन उसे कहा पता था की स्वामीजी से मिलने के बाद जो उस की लाइफ मे वो बदलाव आयेगा जिस के बारे मे कभी उस ने कल्पना भी नही की थी।
मैने आगे भी लिखा था ना की यहा का किया यहा ही भुगतना पड सकता है और कभी कभी विधाता की चाल समजने मे अच्छे अच्छे इंन्सान के दिमाग पर दिमक लग जाती है। एक होशियार लडका, जिस का दिमाग और दिल साफ था और सब से तेज सोच सकता था, वो कल ये कदम उठाने पर मजबुर हो जायेगा की जिस से उस की सोचने की ताकत खत्म हो जाती है। स्वामीजी तो निर्दोष है, वो सिर्फ आनंद कराना जानते थे। उसे कोइ लेना देना नही था क्रांति से ....हा इतना जरुर वो चाहते थे की युवा पीढी पोलिटिक्स मे आगे आये। लेकिन कल का स्वामीजी और जय का मिलन एक अलग प्रकार की क्रांति की शुरुआत करानेवाला युग शुरु हो रहा था ये कोइ नही जानता था.....जय और स्वामीजी तो बिल्कुल नही......हा.......शायद.....शायद...... कुदरत जानती थी लेकिन और कौन..... कौन जाने कहा???
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दीपांशी ठाकुर
04-Mar-2022 07:25 PM
Intresting story
Reply
PHOENIX
04-Mar-2022 11:37 PM
Thanks
Reply
Seema Priyadarshini sahay
03-Mar-2022 05:01 PM
बहुत बढ़िया भाग
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PHOENIX
03-Mar-2022 10:05 PM
Thank you so much.
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🤫
02-Mar-2022 08:56 PM
Very intresting story, ऐसा क्या होने वाला है जो जय के लिए मुसीबत बनेगा, इगरली वेटिंग फ़ॉर नेक्स्ट पार्ट
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PHOENIX
02-Mar-2022 10:18 PM
Thanks and next part will be updated soon.
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